एक बार Ganesh Ji ने पृथ्वी पर मनुष्य की परीक्षा लेने का विचार किया वे अपना रूप बदलकर पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे|
Ganesh Ji ने कुछ इस प्रकार ली पृथ्वी पर मनुष्यों की परीक्षा
एक बार गणेश जी ने पृथ्वी पर मनुष्य की परीक्षा लेने का विचार किया वे अपना रूप बदलकर पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे|
उन्होंने एक बालक का रूप बना लिया एक हाथ में एक चम्मच में दूध ले लिया और दूसरे हाथ में एक चुटकी चावल ले लिए और गली-गली घूमने लगे साथ ही साथ आवाज लगाते रहे और चलते रहे कोई मेरे लिए खीर बना दो मेरे लिए खीर बना दो ,
कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा था बल्कि लोग उन पर हंस रहे थे |वह लगातार एक गांव के बाद दूसरे गांव इसी तरह चक्कर लगाते हुए पुकारते रहे पर कोई खीर बनाने के लिए तैयार नहीं था| शनि-देव
सुबह से शाम हो गई गणेश जी लगातार घूमते रहे एक बुढ़िया शाम के वक्त अपनी झोपड़ी के बाहर बैठी हुई थी तभी गणेश जी वहां से पुकारते हुए निकले कि कोई मेरे लिए खीर बना दे कोई मेरे लिए खीर बना दे बुढ़िया बहुत कोमल हदय वाली स्त्री थी |
उसने कहा बेटा मैं तेरे लिए खीर बना देती हूं ,Ganesh Ji ने कहा माई अपने घर में से दूध और चावल लेने के लिए बर्तन ले आओ बुढ़िया एक कटोरी लेकर जब झोपड़ी से बाहर आई तो गणेश जी ने कहा आपने घर का सबसे बड़ा बर्तन लेकर आओ बुढ़िया को थोड़ी झुंझलाहट हुई पर उसने कहा चलो बच्चे का मन रख लेती हूं और अंदर जाकर वह अपने घर में सबसे बड़ा पतीला लेकर बाहर आई ।
गणेश जी ने चम्मच से दूध डालना शुरू किया तब बुढ़िया के आश्चर्य की सीमा न रही जब उसने देखा दूर से पूरा पतीला भर गया है एक के बाद एक वह बर्तन झोपड़ी से बाहर लाती गई और उसमें गणेश जी दूध भरते चले गए|
इस तरह से घर के सारे बर्तन दूध से लबालब हो गए गणेश भगवान ने बुढ़िया से कहा मैं स्नान करके वापस आता हूं ,तब तक तुम खीर बना लो मैं वापस आकर खाऊंगा बुढ़िया ने पूछा मैं इतनी सारी खीर का क्या करूंगी गणेश जी बोले सारे गांव को दावत दे दो बुढ़िया ने बड़े प्यार से मन लगाकर खीर बनाई खीर की मीठी मीठी भीनी भीनी खुशबू चारों दिशाओं में फैल गई|
खीर बनाने के बाद वह हर घर में जाकर खीर खाने का न्योता देने लगी लोग उस पर हंस रहे थे |बुढ़िया के घर में खाने को दाना नहीं है और यह सारे गांव को खीर खाने की दावत दे रही है |
लोगों को कुतूहल हुआ और खीर की खुशबू से लोग खींचे चले आए सारा गांव बुढिया के घर में इकट्ठा हो गया जब बुढिया की बहू को दावत की बात मालूम हुई तब वह सबसे पहले वहां पहुंच गई उसने खीर से भरे पतिलो को जब देखा तो उसके मुंह में पानी आ गया उसे बड़ी जोर से भूख लगी हुई थी |
उसने एक कटोरी में खीर निकाली और दरवाजे के पीछे बैठकर खाने की तैयारी करने लगी इसी बीच एक छींटा निचे गिर गया और Ganesh Ji को भोग लग गया और वह गणेश जी प्रशन हो गये|
अब पूरे गांव को खाने की दावत देकर बुढ़िया वापस अपने घर आई तो उसने देखा बालक वापस आ गया था| बुढ़िया ने कहा बेटा खीर तैयार है ,भोग लगा लो Ganesh Ji बोले मां भूख तो लग चुका है| मेरा पेट पूरी तरह से भर गया है मैं तृप्त हूं अब तू खा अपने परिवार और गांव वालों को खिला|
बुढ़िया ने कहा यह तो बहुत ज्यादा है सबका पेट भर जाएगा इसके बाद भी यह बच जाएगी उस बची खीर का मैं क्या करूंगी इस पर गणेश जी ने कहां बची हुई खीर को रात में अपने घर के चारों कोनों में रख देना और बुढ़िया ने ऐसा ही किया|
जब सारा गांव जी भर कर खा चुका तब भी ढेर सारी खीर बच गई उसने उसके पात्रों को अपने घर के चारों तरफ रख दिया |
सुबह उठकर उसने क्या देखा पतिलो में खीर के स्थान पर हीरे जवाहरात और मोती से भरे हुए है ,वह बहुत खुश हुई और उसकी सारी दरिद्रता दूर हो गई और वह आराम से रहने लगी उसने Ganesh Ji का एक भव्य मंदिर बनवाया और साथ में एक बड़ा सा तालाब भी खुद वाया |
इस तरह उसका नाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गया है वार्षिक मेले लगने लगे।लोग गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उस स्थान पर पूजा करने और मान्यताएं मानने के लिए आने लगे गणेश जी सबकी मनोकामनाएं पूरी करने लगे।
Ganesh Ji इसी प्रकार आप पर व आपके परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखे | धन्यवाद दोस्तों , कृपा अपना प्यार जरुर दिखाए |
Very nice info..
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