Maa Durga का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में ही माना जाता है |मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए ही जन्म लिया इसीलिए ,
Maa Durga जी का जन्म
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माँ दुर्गा का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में ही माना जाता है |माँ दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए ही जन्म लिया इसीलिए ,उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है| पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं को भगाकर महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था|
तब सभी देवताओं ने मिलकर एक योजना बनाई और त्रिमूर्ति के पास पहुंच गए। ब्रह्मा, विष्णु ओर शिव ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक आकृति बनाई और सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उस आकृति में डाल दी ,जिससे Maa Durga की उत्पति हुई और इसलिए दुर्गा को शक्ति के रूप में भी जाना जाता है |
दुर्गा देवी की छवि बेहद सौम्य और आकर्षक है, उनके आठ हाथ है क्योंकि सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें शक्ति प्रदान की थी इसलिए वह सबसे शक्तिशाली मानी जाती है |उन्हें शिव का त्रिशूल ,विष्णु का चक्र, ब्रह्मा का कमल ,वायु देव से उन्हें नाक मिली हिमालय पर्वत से कपड़े ,धनुष और शेर मिला और ऐसे करते-करते दुर्गा देवी ने अनेक शक्तियां प्राप्त की |
जब माँ दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया तो एक-एक करके देत्य को मारना शुरू किया तब महिषासुर ने भैंसे का रूप धारण कर लिया |महिषासुर को मारने में माता रानी को केवल 9 दिन का समय लगा |इसलिए नवरात्र को 9 दिन तक मनाया जाता है |
नवरात्र को देवी माँ नौ रूपों में प्रकट होती है ,और माँ देवी ने युद्ध के दौरान भी नौ रूप धारण किए थे | नवरात्र के दिनों से लेकर आज तक माता रानी की नवरात्र की परंपरा प्रसिद्ध हुई माँ दुर्गा अपनी सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है| तथा अपने सभी भक्तों के कष्टों को दूर करती है, तथा उन को सही मार्गदर्शन करवाती है|
हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माँ दुर्गा हर दिशा से अपने भक्तों की रक्षा करती है| माँ दुर्गा दुख और बुराई का अंत भी करती है|दुर्गा की पूजा के लिए 108 मंत्रों का जाप भी किया जाता है|
नवरात्रों में दुर्गा पूजा में भगवान राम ने माँ दुर्गा की पूजा की थी ,जिन्हें राम ने महिषासुर मर्दिनी के नाम से ही संबोधित किया था |यह पूजा रावण से युद्ध करने के पूर्व की गई थी और इसलिए दशहरा नवरात्रि के अंत में मनाया जाता है| जिस दिन रावण का वध हुआ था माना जाता है कि रामजी ने दुर्गा पूजा के वक्त 108 नील कमल अर्पित किए थे इस प्रकार माँ दुर्गा के जाप के लिए 108 की संख्या रखी गई है|
Gupt Navratri 2021
------------------------ Bhagwan Vishnu ka Mohini Avtar ------------------------
Maa Durga जी के नो रूप
- शैलपुत्री :-पत्थर मिट्टी जल वायु अग्नि आकाश सब शैल पुत्री का प्रथम रूप हैं।
- ब्रह्मचारिणी:-चेतना का संचार भगवती के दूसरे रूप में है |
- चन्द्र्घंटा:-हाँ जीव में वाणी प्रकट होती है
- कुष्माँडा:-गर्भाधान शक्ति अथार्त जन्म लेना |
- स्कंदमाता:-प्रत्येक पुत्रवान माता-पिता स्कन्द माता के रूप हैं|
- कात्यायिनी:-भगवती कन्या की माता-पिता हैं।
- कालरात्रि:-मृत्यु के समय सब प्राणियों को इस स्वरूप का अनुभव होता है।
- महागौरी:-हागौरी गौर वर्ण का है।
- सिधिदात्री:-इसे प्राप्त कर साधक परम सिद्ध हो जाता है। इसलिए इसे सिद्धिदात्री कहा है।
यह Maa Durga के नो रूप है | इन्हें इन नामो से जाना जाता है |
Maa Durga जी के 108 नाम
1. सती : अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली |
2. साध्वी : आशावादी |
3. भवप्रीता : भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली |
4. भवानी : ब्रह्माँड की निवास |
5. भवमोचनी : संसार बंधनों से मुक्त करने वाली |
6. आर्या : देवी |
7. दुर्गा : अपराजेय |
8. जया : विजयी |
9. आद्या : शुरूआत की वास्तविकता |
10. त्रिनेत्र : तीन आँखों वाली |
11. शूलधारिणी : शूल धारण करने वाली |
12. पिनाकधारिणी : शिव का त्रिशूल धारण करने वाली |
13. चित्रा : सुरम्य, सुन्दर |
14. चंद्रघण्टा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली |
15. महातपा : भारी तपस्या करने वाली |
16. मन : मनन- शक्ति |
17. बुद्धि : सर्वज्ञाता |
18. अहंकारा : अभिमान करने वाली |
19. चित्तरूपा : वह जो सोच की अवस्था में है |
20. चिता : मृत्युशय्या |
21. चिति : चेतना |
22. सर्वमन्त्रमयी : सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली |
23. सत्ता : सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है |
24. सत्यानन्दस्वरूपिणी : अनन्त आनंद का रूप |
25. अनन्ता : जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं |
26. भाविनी : सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत |
27. भाव्या : भावना एवं ध्यान करने योग्य |
28. भव्या : कल्याणरूपा, भव्यता के साथ |
29. अभव्या : जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं |
30. सदागति : हमेशा गति में, मोक्ष दान |
31. शाम्भवी : शिवप्रिया, शंभू की पत्नी |
32. देवमाता : देवगण की माता |
33. चिन्ता : चिन्ता |
34. रत्नप्रिया : गहने से प्यार |
35. सर्वविद्या : ज्ञान का निवास |
36. दक्षकन्या : दक्ष की बेटी |
37. दक्षयज्ञविनाशिनी : दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली |
38. अपर्णा : तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली |
39. अनेकवर्णा : अनेक रंगों वाली |
40. पाटला : लाल रंग वाली |
41. पाटलावती : गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली |
42. पट्टाम्बरपरीधाना : रेशमी वस्त्र पहनने वाली |
43. कलामंजीरारंजिनी : पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली |
44. अमेय : जिसकी कोई सीमा नहीं |
45. विक्रमा : असीम पराक्रमी |
46. क्रूरा : दैत्यों के प्रति कठोर |
47. सुन्दरी : सुंदर रूप वाली |
48. सुरसुन्दरी : अत्यंत सुंदर |
49. वनदुर्गा : जंगलों की देवी, बनशंकरी अथवा शाकम्भरी |
50. मातंगी : मतंगा की देवी |
51. मातंगमुनिपूजिता : बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय |
52. ब्राह्मी : भगवान ब्रह्मा की शक्ति |
53. माहेश्वरी : प्रभु शिव की शक्ति |
54. इंद्री : इन्द्र की शक्ति |
55. कौमारी : किशोरी |
56. वैष्णवी : अजेय |
57. चामुण्डा : चंड और मुंड का नाश करने वाली |
58. वाराही : वराह पर सवार होने वाली |
59. लक्ष्मी : सौभाग्य की देवी |
60. पुरुषाकृति : वह जो पुरुष धारण कर ले |
61. विमिलौत्त्कार्शिनी : आनन्द प्रदान करने वाली |
62. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई |
63. क्रिया : हर कार्य में होने वाली |
64. नित्या : अनन्त |
65. बुद्धिदा : ज्ञान देने वाली |
66. बहुला : विभिन्न रूपों वाली |
67. बहुलप्रेमा : सर्व प्रिय |
68. सर्ववाहनवाहना : सभी वाहन पर विराजमान होने वाली |
69. निशुम्भशुम्भहननी : शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली |
70. महिषासुरमर्दिनि : महिषासुर का वध करने वाली |
71. मधुकैटभहंत्री : मधु व कैटभ का नाश करने वाली |
72. चण्डमुण्ड विनाशिनि : चंड और मुंड का नाश करने वाली |
73. सर्वासुरविनाशा : सभी राक्षसों का नाश करने वाली |
74. सर्वदानवघातिनी : संहार के लिए शक्ति रखने वाली |
75. सर्वशास्त्रमयी : सभी सिद्धांतों में निपुण |
76. सत्या : सच्चाई |
77. सर्वास्त्रधारिणी : सभी हथियारों धारण करने वाली |
78. अनेकशस्त्रहस्ता : हाथों में कई हथियार धारण करने वाली |
79. अनेकास्त्रधारिणी : अनेक हथियारों को धारण करने वाली |
80. कुमारी : सुंदर किशोरी |
81. एककन्या : कन्या |
82. कैशोरी : जवान लड़की |
83. युवती : नारी |
84. यति : तपस्वी |
85. अप्रौढा : जो कभी पुराना ना हो |
86. प्रौढा : जो पुराना है |
87. वृद्धमाता : शिथिल |
88. बलप्रदा : शक्ति देने वाली |
89. महोदरी : ब्रह्माँड को संभालने वाली |
90. मुक्तकेशी : खुले बाल वाली |
91. घोररूपा : एक भयंकर दृष्टिकोण वाली |
92. महाबला : अपार शक्ति वाली |
93. अग्निज्वाला : मार्मिक आग की तरह |
94. रौद्रमुखी : विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा |
95. कालरात्रि : काले रंग वाली |
96. तपस्विनी : तपस्या में लगे हुए |
97. नारायणी : भगवान नारायण की विनाशकारी रूप |
98. भद्रकाली : काली का भयंकर रूप |
99. विष्णुमाया : भगवान विष्णु का जादू |
100. जलोदरी : ब्रह्माँड में निवास करने वाली |
101. शिवदूती : भगवान शिव की राजदूत |
102. करली : हिंसक |
103. अनन्ता : विनाश रहित |
104. परमेश्वरी : प्रथम देवी |
105. कात्यायनी : ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय |
106. सावित्री : सूर्य की बेटी |
107. प्रत्यक्षा : वास्तविक |
108. ब्रह्मवादिनी : वर्तमान में हर जगह वास करने वाली |
|| जय माता दी ||
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