Lakshmi Pooja: हिंदू धर्म में धन और समृद्धि का प्रतीक जाने घर पर पूरे विधि विधान से कैसे करें Lakshmi Pooja
यह तो हम सब जानते हैं कि Lakshmi Pooja दीपावली के दिन की जाती है और दीपावली भगवान श्री राम की अयोध्या लौटने की खुशी में बनाई जाती है |इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अपने अपने घर पहुंचे थे और इस खुशी में वहां के लोगों ने घी के दिए जलाए थे |
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परंतु आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि फिर भी हम दीपावली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं परंतु भगवान राम की नहीं ,आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की कथा -
Lakshmi Pooja क्या है ?
समुंद्र मंथन से पहले देवों और राक्षसों के बीच रोजाना युद्ध होते रहते थे | जिसमें कभी राक्षस जीत जाते थे , तो कभी देव युगों पुरानी बात है ,एक बार देवता राक्षसों पर भारी पढ़ रहे थे जिसके कारण राक्षस पाताल लोक में जाकर छिप गए थे | देवताओं पर महालक्ष्मी अपनी कृपा बरसा रही थी मां लक्ष्मी इंद्रलोक में अपने 8 रूपों के साथ थी | इसी कारण देवताओं में अहंकार भर गया था |
एक बार की बात है ऋषि दुर्वासा इंद्रलोक की तरफ समामन की माला पहन कर जा रहे थे और उन्होंने इंद्रदेव को आते हुए देखा इंद्रदेव को देखकर ऋषि दुर्वासा बहुत प्रसन्न हुए और अपने गले की माला उतार कर इंद्रदेव की ओर फेकी परंतु उन्होंने ऋषि दुर्वासा को प्रणाम तो किया लेकिन माला संभाल नहीं पाए और वह भूल से हाथी ऐरावत के गले में डल गई |
एरावत को जैसे ही कुछ अपने गर्दन पर महसूस हुआ तो उन्होंने अपना सर हिलाया जिससे वह माला उतर कर उनके पांव के नीचे आ गई और माला नष्ट हो गई |इस पर ऋषि दुर्वासा बहुत अधिक क्रोधित हुए और उन्हें श्राप दिया कि तुम जिस अहंकार की वजह से बढ़ गए हो वही तुम्हारे पास से तुरंत पताल लोक में चली जाएगी |
इसी कारण महालक्ष्मी को स्वर्ग छोड़कर पाताल लोक जाना पड़ा और पाताल लोक में राक्षसों को देवी का साथ मिला और वह देवताओं से अधिक बलशाली हो गए | इस पर देवता बहुत दुखी हुए और इकट्ठे होकर ब्रह्मा जी के पास गए
ब्रह्मा जी ने मां लक्ष्मी को वापस बुलाने के लिए समुद्र मंथन की युक्ति बताइए इसके बाद देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ और हजारों साल चले इस मंथन के बाद महालक्ष्मी निकली इस दिन कृष्ण पक्ष की अमावस्या थी मां लक्ष्मी को दोबारा पाकर देवता फिर से बलशाली हो गए | इसी कारण कार्तिक माह की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है साथ ही रोशनी की जाती है फिर से कोई देवता या भक्तजन माता लक्ष्मी के अहंकार में आकर कोई गलती ना कर दे इसलिए माता सरस्वती और गणेश जी की भी साथ में पूजा की जाती है |
Lakshmi Pooja करने के लाभ
जी हां तो हम सब जानते ही हैं कि मा लक्ष्मी धन यश वैभव की देवी है इनका जन्म समुंद्र से हुआ था | अगर महादेवी आप पर एक बार प्रसन्न हो जाए तो व्यक्ति हमेशा के लिए हर समस्या से दूर हो जाता है |
- महालक्ष्मी की पूजा करने से पारिवारिक जीवन में खुशहाली और सफलता मिलती है |
- ज्योतिषी के अनुसार माता लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है क्योंकि महालक्ष्मी का संबंध शुक्र ग्रह से है और शुक्र ही वह ग्रह है ,जो आपको भौतिक चीजों का सुख देता है |
- सकारात्मक परिणाम के लिए सफेतिक माला मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने के लिए उपयोग करनी चाहिए|
- लक्ष्मी पूजन के साथ हमें शंख का प्रयोग अवश्य करना चाहिए शंख की ध्वनि से पूरे घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है ऐसा माना जाता है कि शंख महालक्ष्मी के भाई है |
Lakshmi Pooja: घर पर पूरे विधि विधान से कैसे करें
महालक्ष्मी की पूजा में कलावा ,रोली ,सिंदूर ,नारियल ,अक्षत ,लाल वस्त्र ,फूल ,5 सुपारी ,लोंग, पान के पत्ते ,देसी घी ,कलश आम का पत्ते, चौकी ,समिधा ,हवन कुंड व हवन सामग्री कमलगट्टे पंचामृत (दूध, दही ,घी ,शहद, गंगाजल,) से बना हुआ |फल पतासे मिठाइयां पूजा में बैठने के लिए सभी के लिए आसन हल्दी ,अगरबत्ती ,कुमकुम ,इत्र व दीपक आरती की थाली कुशा रक्त चंदन श्रीखंड चंदन सामग्री का इस्तेमाल Lakshmi Pooja में किया जाता है |
लक्ष्मी पूजन शुरू करने से पहले चौकी को अच्छे से धो कर उस पर लाल वस्त्र से नाल बांधे और उसको चारों तरफ से दीपक व फूल से अच्छे से सजाएं जिस जगह पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी है ,उससे पहले वहां थोड़े से चावल अवश्य रखें आसन लगाकर सामने बैठे |
पुष्प, फल ,सुपारी ,पान ,चांदी का सिक्का पानी वाला नारियल मिठाई मेवा आदि सभी सामग्री को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प करें ।पूजन के लिए यह मुख्यता है हम पंचामृत से गणेश जी और माता लक्ष्मी को स्नान कराते हैं तथा उसके पश्चात गंगाजल से अच्छे से शुद्ध किया जाता है ।
इसके पश्चात लाल रंग के वस्त्र अर्पण किए जाते हैं । वस्त्र के लिए हम नाल या मोली का भी इस्तेमाल कर सकते हैं । वस्त्र के पश्चात कुमकुम का तिलक किया जाता है |इसके पश्चात मां लक्ष्मी का आहवान करते समय उन पर फूल अर्पित किए जाते हैं ।इसके पश्चात देवी को मिठाई दी जाती हैं ।
माता लक्ष्मी को अधिकतर मखाना, सिंघाड़ा , हलवा -खीर ,अनार ,पान सफेद और पीले रंग के मिष्ठान अधिक प्रिय है ।महालक्ष्मी वैकुंठ में निवास करती है ।
जैसा कि हम सब जानते हैं गणेश जी भगवान से शुरू की जाती है | सबसे पहले भगवान गजानंद की पूजा करे ।गणेश जी की पूजा के लिए गणेश आरती या गणेश स्त्रोत का भी इस्तेमाल किया जाता है |परंतु आप लोग गणेश स्त्रोत का तभी इस्तेमाल करें |
जब आप इसे अच्छे से पढ़ सके बिना किसी त्रुटि के ।गणेश जी की पूजा के बाद माता लक्ष्मी की पूजा के लिए हम कनकधारा स्त्रोत का पाठ करते हैं |
स्त्रोत के बाद हम माता लक्ष्मी जी से क्षमा याचना करते हैं | अगर पूजा के दौरान हमसे किसी भी प्रकार की कोई भूल या गलती हुई है ।
क्षमा याचना इस प्रकार है मैं भगवान में आहवान करना नहीं जानता नहीं विसर्जन करना जानता पूजा कर्म भी नहीं जानता एक परमेश्वरी मुझे क्षमा करो मैंने जो मंत्र हीनं क्रिया हीनं और भक्ति हिन् जो भी पूजा की है आप मेरी यह पूजा को स्वीकार करो मुझ पर मेरे परिवार पर प्रसन्न रहो यह पूजा मां भगवती महालक्ष्मी आपको पूरे दिल से समर्पित है |
क्षमा याचना के पश्चात पूजा कर संपन्न मां लक्ष्मी की आरती करेंगे । इसके लिए हम सब परिवार के साथ खड़े हो जाएंगे और एक थाली में कपूर व उस पर 3 लॉन्ग रखकर आरती करेंगे। मैं आपको बता दूं लॉन्ग का इस्तेमाल कपूर पर इसलिए किया जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को हमारे घर से बिल्कुल खत्म कर देता है ।
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